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पुलिस के अजब-गजब कारनामे से परेशान हो रहे निर्दोष – नवादा |

पुलिस के लिए पैसे दो तो नहीं था, नहीं दो तो था वाली प्रचलित कहावत

 मृत को जिंदा दिखा बयान किया कलमबंद
-न्यायालय पहुंचा अंतिम प्रपत्र तो खुला पोल

रवीन्द्र नाथ भैया |

जिले में पुलिस के लिए पैसे दो तो नहीं था, नहीं दो तो था वाली प्रचलित कहावत चरितार्थ हो रही है। ऐसे में निर्दोष फंस रहा तो दोषी चैन की निंद सो रहा है। ऐसा ही एक मामला सामने आया है।
जिले की उग्रवाद प्रभावित परनाडाबर थाना की पुलिस ने थाना कांड संख्या 187/ 24 में चार वर्ष पूर्व मृत स्व रघुनी प्रसाद पिता बंधु प्रसाद का बयान कलमबंद कर दिया। ऐसा अनुसंधानकर्ता अनिल गोविन्द प्रसाद सिंह ने किया। मामले का खुलासा तब हुआ जब दिनांक 08/ 01/2025 अंतिम प्रपत्र न्यायालय पहुंचा। वैसे अनुसंधानकर्ता करीब चार वर्षों से सिरदला व परनाडाबर थाने में जमे हैं। जाहिर है अपराधियों से सांठगांठ कर ही थाने में जमे हैं।
अब जब पोल खुली और उनसे मोबाइल पर जानकारी चाही तो उन्होंने अपना मोबाइल ही बंद कर लिया। करें भी क्यों नहीं उनके पास जबाव ही नहीं है। जब रघुनी प्रसाद की मौत 15/ 05/2022 को ही हो गयी तब फिर उन्होंने 10/10/2024 को स्वतंत्र गवाह के रूप में अपना बयान कलमबंद कराया कैसे? जाहिर है सच को झूठ और झूठ को सच बनाने में माहिर अनुसंधानकर्ता का दिमाग का अपना उपज था।
आश्चर्य तो यह कि इसे बगैर जांच पड़ताल के वरीय पुलिस पदाधिकारियों ने भी स्वीकृति प्रदान कर दी। यानी वहीं:- खाता न वही अनुसंधानकर्ता जो कहे वही सही।
है न हैरतअंगेज कारनामे पुलिस के। ऐसे में पुलिस पर कोई भरोसा करेगा क्या? वैसे हमारा काम है पुलिस की काली करतूतों का पर्दाफाश करना और मैं करता रहूंगा। अभी और इंतजार करें! ऐसे ऐसे मामले को जनता की अदालत में लाने के लिए ही तो मैं जाना जाता रहा हूं। सो आगे की खबर के लिए थोड़ा इंतजार करें।

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