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राजनीति, मुखियागिरी से तौबा कर छह एकड़ में कर रहे पपीता की खेती – नवादा ।

रवीन्द्र नाथ भैया ।

जी हां! आज भले ही कृषि घाटे का सौदा कहा जा रहा हो, या मौसम की बेरुखी का शिकार हो किसानों को निराश कर रहा हो , लेकिन कृषि तो कृषि है। अन्न के बगैर मनुष्य जिंदा भी नहीं रह सकता। बशर्ते वैकल्पिक व वैज्ञानिक खेती किया जाय। अधिकांश किसान आज भी धान- गेहूं पर निर्भर हैं।

यहां तक कि दलहन व तेलहन की खेती तक करने से तौबा करने लगे हैं।
इन सबों से इतर जिले के अकबरपुर प्रखंड क्षेत्र तेयार पंचायत की पिथौरी गांव के भोली मुखिया जिन्हें विरासत में राजनीति मिली थी तो पंचायत मुखिया बने। पूर्व में लम्बे अर्से तक पिता जी मुखिया थे। मुखिया रहते हुए जनसेवा के लिए मशहूर हुए लेकिन आरक्षण ने सारा खेल बिगाड़ दिया। वैसे मनचाहे को मुखिया बना दिया लेकिन पद मिलते ही एहसान भूल जाना प्रकृति का नियम है सो उन्हें निराशा के साथ बदनामी उठानी पड़ी।
ऐसे में राजनीति छोड़ अलग राह चुन लिया।
फिलहाल बागवानी विभाग के सलाह से उन्होंने बागवानी का रास्ता अख्तियार कर लिया है। अपनी छह एकड़ जमीन पर पपीता का पौधा लगाकर न केवल उसकी देखरेख में जुटे हैं बल्कि पौधे को फल देने की स्थिति में ला खड़ा किया है।
कहते हैं कितना लाभ या हानि होगा, यह तो समय बताएगा लेकिन, लेकिन स्वास्थ्य व श्रम के दृष्टिकोण से यह काफी सुकून दे रहा है तथा दूसरे लोगों को भी ऐसा करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है।

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