रवीन्द्र नाथ भैया |
जिले के पुलिस कप्तान से लोगों का भरोसा टूटने लगा है। पुलिस के विरुद्ध आम नागरिकों की शिकायतों का निपटारा तो दूर समाधान तक नहीं किया जा रहा है। और तो और भेजे गये ईमेल तक रद्दी की टोकरी में डाली जा रही है। फिर थानाध्यक्षों की मनमानी पर अंकुश लगे तो कैसे?
इसके एक नहीं कई उदाहरण हैं। छोटे शराब कारोबारी पर कार्रवाई तो हो रही है लेकिन पुलिस के संरक्षण में चल रहे कारोबार का आडियो वायरल होने के बावजूद कार्रवाई नहीं। फिर शराब के अवैध कारोबार पर अंकुश लगे तो कैसे?
मात्र दो दिन पूर्व नगर के पुराने खुरी पुल के नीचे शराब बिक्री का प्रमाण के साथ खबरें वायरल होने के बाद पुलिस ने त्वरित कार्रवाई कर 05 लीटर महुआ शराब बरामद किया लेकिन कारोबारी फरार होने में सफल रहा। गिरफ्तारी के लिए छापामारी जारी है। चूंकि छोटा कारोबारी था।
दूसरी ओर सिरदला व परनाडाबर पुलिस की मिलीभगत से हो रही शराब कारोबारी व पुलिस के बीच लेन-देन का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल मामले का संज्ञान तक नहीं लिया जा रहा है।
इसके पूर्व रजौली थाने का आडियो वायरल होने पर वहां के चौकीदार को निलंबित किया जा चुका है।
अब सबसे बड़ा सवाल जब ईमेल पर भेजे गए आडियो भेजे जाने के बावजूद कार्रवाई नहीं तो फिर सूचना देने वाले अपने आपको कोई सुरक्षित महसूस करेगा क्या? ऐसे में पुलिस कप्तान से हर किसी का भरोसा टूटने लगा है तो थानाध्यक्ष अपने आपको सुरक्षित महसूस करने लगे हैं। क्योंकि उनके विरुद्ध कार्रवाई कौन?