विरासत बचाने के लिए सभी का सहयोग जरूरी – नवादा |
इन्टैक चेप्ट नवादा से जुड़े लोगों ने जिले की धरोहरों को बचाने का लिया संकल्प
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रवीन्द्र नाथ भैया |
इन्टैक नवादा चैप्टर ने विरासत बचाओ यात्रा का शुभारंभ किया। इसमें जिले की पौराणिक धरोहरों के संरक्षण का संकल्प लिया गया।
जिले के प्रसिद्ध पौराणिक शोभ मंदिर से पदयात्रा की शुरुआत की ।
शोभ मंदिर से जीवन दीप पब्लिक स्कूल तक यात्रा निकाली गयी। इन्टैक नवादा चैप्टर के सदस्यों के साथ बड़ी संख्या में राष्ट्रीय वरीय नागरिक संघ के सदस्य व शहर के प्रबुद्ध जन शामिल हुए।
यात्रा का नेतृत्व करते हुए प्रो बच्चन कुमार पांडे ने पदयात्रा के उद्देश्यों को बताया. कहा कि चैप्टर पौराणिक धरोहरों को संरक्षण देने के लिए काम करता है।
जिले के कई क्षेत्रों में मगध साम्राज्य से जुड़ी प्रतिमाएं व अवशेष आसानी से मिलते हैं। इन सभी को संरक्षित करके इतिहास को संजोने की आवश्यकता है।
शोभ मंदिर परिसर से यात्रा की शुरुआत के दौरान मंदिर के बड़े तालाब की दुर्दशा पर चिंता व्यक्त की गयी। यात्रा में डॉ सुबोध कुमार, मनीष कुमार सिंह, महेंद्र प्रसाद सिंह, अर्जुन यादव, श्याम सुंदर दुबे, रामनरेश सिंह, अनिल यादव, चंद्रिका चौधरी, ललित किशोर शर्मा, कपिल देव चौरसिया, सीताराम पासवान, राकेश रंजन पांडे, विनोद कुमार बीजू व अन्य लोगों ने भाग लिया।
विद्यार्थियों से की बातचीत:-
यात्रा के अंतिम पड़ाव में जीवनदीप स्कूल पहुंचकर छात्र-छात्राओं के साथ सभा हुई। कार्यक्रम में प्रो बच्चन पांडेय ने कहा कि जिले में सभी महत्वपूर्ण स्थान पौराणिक चीजों से भरे हैं।
अपसढ़, पार्वती, कौआकोल जलप्रपात, आंती का पातालपुरी मंदिर, डुमरावां का तालाब, सीतामढ़ी के मंदिर के संरक्षण के लिए कार्यक्रम आयोजित करने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि कैथी भाषा के संक्षरण के लिए मार्च के पहले सप्ताह में तीन दिवसीय प्रशिक्षण शिविर प्रोजेक्ट कन्या इंटर विद्यालय में लगाया जायेगा। इसके रजिस्ट्रेशन के लिए प्रो बच्चन कुमार पांडेय के अलावा सुरेंद्र कुमार, डॉ सुबोध कुमार, श्याम सुंदर दुबे, अधिवक्ता मनमोहन कृष्णा से संपर्क किया जा सकता है। सुरेंद्र सिंह ने कहा कि होली के गीत, पुरानी रीति-रिवाज, राजगीर नालंदा से बने ऐतिहासिक धरोहरों को संरक्षण की आवश्यकता है। बैंकर्स एसोसिएशन के डॉ सुबोध कुमार, मनीष कुमार सिन्हा, मनमोहन कृष्ण आदि ने विचार रखे। मनमोहन कृष्ण ने कहा कि 1835 में लॉर्ड मैकाले ने हमारी गुरुकुल पद्धति को बदलकर पाश्चात्य पद्धति से शिक्षा ने बेड़ा गर्क किया है। कार्यक्रम में अर्जुन यादव, महेंद्र प्रसाद सिंह, कपिल देव चौरसिया, रामनरेश सिंह, सच्चिदानंद, अनिल यादव, राकेश रंजन पांडे ने संबोधित किया। धन्यवाद ज्ञापन ललित किशोर शर्मा ने किया।