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आदित्य कुमार गुप्ता का विशेष साक्षात्कार दूरदर्शन बिहार के जीवंत कार्यक्रम ‘बिहार बिहान’ कार्यक्रम में प्रसारित – पटना ।

सशक्त दिव्यांग – आत्मनिर्भरता की ओर एक प्रेरणादायक यात्रा

रवि रंजन ।

पटना। दिव्यांगता को कमजोरी नहीं, बल्कि ताकत बनाकर जीवन को समाजसेवा के पथ पर समर्पित करने वाले श्री आदित्य कुमार गुप्ता आज किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। 26 मई 2025 को दूरदर्शन बिहार के चर्चित कार्यक्रम ‘बिहार बिहान ’ में उनका साक्षात्कार प्रसारित हुआ, जो न सिर्फ प्रेरणादायक था, बल्कि आत्मनिर्भरता की मिसाल भी।

शुरुआती जीवन और संघर्ष की कहानी
कार्यक्रम की शुरुआत में आदित्य जी ने अपने बचपन और दिव्यांगता की शुरुआत की कथा साझा की। उन्होंने बताया कि एक दुर्घटना ने उनका जीवन पूरी तरह बदल दिया, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। कठिनाइयों के बीच उन्होंने आत्मबल और आत्मविश्वास से जीवन को नई दिशा दी।

प्रेरणा का स्रोत
जब उनसे पूछा गया कि उन्होंने दिव्यांगजनों के सशक्तिकरण की राह क्यों चुनी, तो उन्होंने उत्तर दिया कि बचपन में एक दिव्यांग छात्र को अपमानित होते देख उन्होंने ठान लिया कि वे एक दिन दिव्यांगजनों की आवाज़ बनेंगे। इस घटना ने उनके भीतर सामाजिक जिम्मेदारी की लौ जलाई।

सेवा के प्रमुख क्षेत्र
आदित्य जी ने बताया कि उनकी सामाजिक सेवा का केंद्र बिंदु शिक्षा, कौशल विकास और रोजगार रहा है। उनका मानना है कि दिव्यांगजनों को सिर्फ सहायता नहीं, बल्कि अवसर देने की जरूरत है, जिससे वे आत्मनिर्भर बन सकें।

प्रमुख प्रोजेक्ट्स और सरकारी सहयोग
उन्होंने ‘स्वावलंबन मिशन’, ‘दृष्टि योजना’ और ‘सक्षम जीवन शिविर’ जैसे अपने अभियानों की जानकारी दी, जिनका उद्देश्य दिव्यांगजनों को ट्रेनिंग, उपकरण और कानूनी सहायता प्रदान करना है। इनमें से कई योजनाएं राज्य सरकार और केंद्र सरकार की साझेदारी से चल रही हैं।

सरकारी योजनाओं का प्रभाव
मुख्यमंत्री संबल योजना, ADIP योजना जैसे प्रयासों पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि कई इलाकों में इनका लाभ पहुँच रहा है, लेकिन जमीनी स्तर पर जागरूकता और पारदर्शिता की अभी भी कमी है। उन्होंने सुझाव दिया कि पंचायत स्तर पर निगरानी तंत्र को और मजबूत किया जाना चाहिए।

समाज की सोच में बदलाव
समय के साथ समाज में सकारात्मक परिवर्तन आया है, लेकिन आज भी मानसिकता में कई स्तरों पर पूर्वाग्रह मौजूद हैं। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि स्कूलों और मीडिया में दिव्यांगता को लेकर संवेदनशीलता की शिक्षा दी जानी चाहिए।

परिवार और समाज की भूमिका
अपने संघर्ष के दिनों को याद करते हुए आदित्य जी ने बताया कि शुरू में उन्हें संकोच और विरोध का सामना करना पड़ा, लेकिन आज उनका परिवार और समाज दोनों उनके साथ खड़े हैं।

सम्मान और पहचान
आदित्य गुप्ता को राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर कई पुरस्कार मिल चुके हैं। हाल ही में उन्हें राष्ट्रपति पुरस्कार के लिए नामित किया गया है, जिसे वह अपनी सामाजिक यात्रा का सबसे बड़ा सम्मान मानते हैं।

सरकारी सहयोग और अपेक्षाएं
सरकार से मिले सहयोग पर संतोष जताते हुए उन्होंने कहा कि आज जरूरत है कि नीतियों में दिव्यांगजनों की सहभागिता सुनिश्चित की जाए। साथ ही, सरकारी भवनों, परिवहन और तकनीकी सेवाओं को दिव्यांग-मैत्री बनाया जाए।

युवाओं को संदेश
अपने संदेश में उन्होंने दिव्यांग युवाओं से कहा – “आपकी कमजोरी नहीं, आपका हुनर आपकी पहचान है। समाज की सोच बदले न बदले, आप खुद को न बदलें। आत्मबल और धैर्य ही सफलता की चाबी है।”

इस संपूर्ण संवाद ने यह सिद्ध कर दिया कि दिव्यांगता कोई रुकावट नहीं, बल्कि आत्मबल की परीक्षा है। श्री आदित्य कुमार गुप्ता जैसे व्यक्तित्व समाज के लिए एक प्रकाशस्तंभ हैं, जो अंधेरे में भी राह दिखाते हैं।

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