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नमी, उमस और बारिश ने बिगाड़ी सेहत, अस्पतालों में मरीजों की भरमार – नवादा |

रवीन्द्र नाथ भैया |

मौसम में उतार-चढ़ाव के कारण एक बार फिर से मौसम जनित बीमारियों के मरीजों की तादाद बढ़ने लगी है। विगत 10 अप्रैल से जारी बादल और बारिश वाले मौसम के कारण नमी का झंझट और उमस की अधिकता के बीच अचानक से हो रही बारिश वाले मौसम के कारण बच्चे-बड़े सभी बीमार पड़ रहे हैं।
मौसम में उतार-चढ़ाव से जिला मुख्यालय स्थित निजी व सदर अस्पताल सहित जिले के सभी सरकारी अस्पतालों में विगत तीन-चार दिनों में सर्दी-खांसी, सिर दर्द, वायरल बुखार के साथ ही 100 फॉरेनहाइट तक तेजी वाले बुखार से पीड़ित मरीजों की संख्या में इजाफा हुआ है। सर्दी-जुकाम और खांसी तो कॉमन बीमारी साबित हो रही है जबकि पाचन की समस्या लूज मोशन व डायरिया से लेकर चर्म रोगों में तेजी समेत टायफाइड आदि की बीमारी भी लोगों की परेशानी बढ़ा रही हैं। अस्पताल में बहुतेरे मरीज दम फूलने, खांसी, सर्दी व बुखार के पहुंच रहे हैं।
गले में खराश व बदन दर्द वाले मरीजों की तादाद भी बढ़ी है। डॉक्टरों के अनुसार, बच्चों व बुजुर्गों पर मौसम में बदलाव का ज्यादा प्रभाव दिख रहा है। सदर अस्पताल में गुरुवार की सुबह और दोपहर बाद की पाली की ओपीडी में कुल 890 मरीजों की चिकित्सा की गई। इसमें से 80 फीसदी से अधिक मौसम जनित बीमारियों से पीड़ित थे। शेष 20 फीसदी पुरानी बीमारियों वाले नियमित इलाज कराने आने वाले मरीज रहे।
डॉक्टरों के अनुसार, चौबीस घंटे के दरम्यान ही नमी और उमस तथा अचानक से बारिश के कारण ठंड वाली परिस्थिति में लोग बीमारियों से ग्रसित हो रहे हैं। चिकित्सक दवा देने के साथ ही बदलते मौसम से बचने की सलाह दे रहे हैं, खासकर यह कि इस बारिश में भीगने से जरूर बचें।
इस बीच, सदर अस्पताल में सभी जरूरी दवाओं की उपलब्धता के कारण मरीजों के इलाज में कोई बाधा नहीं आ रही है।
सिविल सर्जन डॉ.नीता अग्रवाल ने बताया कि सभी मरीजों की समुचित चिकित्सा जारी है। बच्चों में लूज मोशन का दिख रहा प्रकोप:- बच्चों में हालिया दिनों में डायरिया का प्रभाव दिख रहा है। डिसेंट्री के साथ ही छिटपुट डायरिया की शिकायत भी मिल रही है। पेट में मरोड़ और म्यूकस वाली समस्या भी दिख रही है। शूल जैसी दिक्कतों से भी बच्चे और बड़े परेशान हैं। इस के अलावा इस मौसम में बच्चों में सर्दी-खांसी, बुखार के अलावा गाहे-बगाहे चिकेन पॉक्स की शिकायत भी मिल रही है। सदर अस्पताल के अलावा बीमार बच्चों के परिजन बाल रोग के डॉक्टरों के निजी क्लिनिक में भी बड़ी संख्या में इलाज को पहुंच रहे हैं।
शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ.महेश कुमार ने बताया कि मौसम के दुष्प्रभाव से बच्चों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। अभिभावक हर हाल में बीमारियों से बचने को लेकर सावधानी बरतें। ————————– बादल व बारिश वाले मौसम में बरतें सावधानी:- बादल व बारिश वाले मौसम में सावधानी बरत कर रोगों से बचाव संभव है। विशेषज्ञ चिकित्सक इस बारे में हिदायत देते हुए कहते हैं कि थोड़ी सी चूक से बीमार होने का खतरा बना हुआ है इसलिए सभी लोग सावधानी और दिनचर्या तथा खानपान में एहतियात बरतें। जेनरल फिजिशियन डॉ.सबा अहमद ने बताया कि चाय, कॉफी तथा अन्य कैफिन युक्त पदार्थ, रिफाइंड और फास्ट फूड और अधिक तेल-मसाले वाले भोजन से दूरी जरूरी है। इसके अलावा घी, तेल, गरम मसाला व अचार व गर्म तासीर वाले भोजन से परहेज की हिदायत दी गयी है। सही तरीके से इलाज नहीं होने और अधिक समय तक टायफाइड रहने से व्यक्ति काफी कमजोर हो जा रहे हैं, जिसको लेकर कहा गया है कि बार-बार टायफाइड का होना गंभीर है। जो पहले कभी टायफाइड शिकार हो चुके हैं, उन्हें खास तौर पर सतर्क रहना चाहिए। ———————- साफ पानी का करें सेवन, रहेंगे स्वस्थ:- ऐसे मौसम में दूषित पानी व संक्रमित भोजन के सेवन से व्यक्ति मियादी बुखार से ग्रसित हो रहे हैं। टायफाइड के कारण लिवर में सूजन हो जा रही है। ऐसे में साफ पानी और भोजन का ध्यान रखने को जरूरी बताया गया है।
खुले में मलमूत्र त्याग करने, खाने से पहले हाथों को नहीं धोने आदि कई कारणों से टायफाइड होने की आशंका के बीच चिकित्सकों ने ऐसी स्थिति से बचाव पर जोर दिया है। चिकित्सकों ने बताया कि तेज बुखार के साथ दस्त व उल्टी होना, बदन दर्द रहना, कमजोरी और भूख नहीं लगना टाइफाइड के प्रमुख लक्षण हैं। इसके साथ ही पेट, सिर और मांसपेशियों में भी दर्द रहने की परेशानी बनी रहती है।
टायफाइड पाचन तंत्र को बुरी तरह प्रभावित करने वाली बीमारी है, जिसकी खून की जांच से जानकारी मिल पाती है। जांच के पूर्व तक मरीज काफी टूट जाता है।
बच्चों तथा गर्भवती महिलाओं में बुखार के लंबे समय तक रहने पर तुरंत चिकित्सीय परामर्श के अलावा टायफाइड हो जाने पर मरीज को पूरी तरह आराम की जरूरत रहती है। चिकित्सकों ने सुपाच्य भोजन और पीने के लिए उबाले हुए पानी को ठंडा कर पीने समेत रोगी को मांस-मछली का सेवन नहीं करने की सलाह दी गयी है। अधिक से अधिक तरल पदार्थ लेना और भोजन में हरी सब्जियां, दूध व पाचन तंत्र को बेहतर बनाए रखने वाले भोजन समेत ताजे मौसमी फल के सेवन की सलाह दी।

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