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बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्था ! -ई-रिक्शा में प्रसूता ने दिया बच्चे को जन्म –  नवादा ।

रवीन्द्र नाथ भैया ।

जिले में बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्था का एक और नजारा देखने को मिला है। एंबुलेंस सेवा नहीं मिलने के कारण एक प्रसूता ने ई-रिक्शा में ही बच्चे को जन्म दिया। बताया जा रहा है कि प्रसूता के घर से अस्पताल की दूरी 26 किमी है।
जिले में इन दिनों एंबुलेंस कर्मी हड़ताल पर हैं। जिसके कारण मरीजों को परेशानी हो रही है। इसी कड़ी में एक प्रसूता को ससमय एंबुलेंस सेवा नहीं मिलने के कारण काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। सदर अस्पताल पहुंचने के क्रम में प्रसूता ने बीच रास्ते में ई-रिक्शा पर शिशु को जन्म दिया। करीब 26 किलोमीटर की दूरी तय कर सदर अस्पताल पहुंचने के क्रम में प्रसूता व उनके परिजनों की सांसें अटकी रहीं।
जानकारी के अनुसार बीती रात सदर प्रखंड के केनासराय पोखर पर गांव निवासी दिवाकर कुमार की पत्नी किरण कुमारी घर में प्रसव पीड़ा से कराहने लगी। यह देख महिला के पति ने एंबुलेंस सेवा 102 पर कॉल लगाया। करीब डेढ़ घंटे तक कॉल लगाने के बाद कोई जवाब नहीं मिला। जिसके बाद थक हार कर एक ई-रिक्शा का सहारा लिया।
गांव से सदर अस्पताल की दूरी 26 किलोमीट की है। ई-रिक्शा से इतनी लंबी दूरी तय करने में प्रसूता को काफी परेशानी हुई और गांव से तकरीबन 10 किलोमीटर दूर पहुंचते ही ई-रिक्शा पर प्रसव हो गया। इस दौरान वह दर्द से छटपटाती रही। ई-रिक्शा चालक व प्रसूता के परिजनों ने काफी हिम्मत से काम लिया और किसी तरह जच्चा-बच्चा को लेकर सदर अस्पताल पहुंचे, जहां दोनों का इलाज किया गया। फिलहाल जच्चा-बच्चा दोनों स्वस्थ बताए गए हैं।
प्रसूता के पति ने बदहाल स्वास्थ्य सुविधा को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि विभाग की नाकामी की वजह से यह परेशानी हुई। अगर समय रहते एंबुलेंस सेवा उपलब्ध हो जाती तो ससमय अस्पताल पहुंच जाते। लेकिन एंबुलेंस की हड़ताल की वजह से यह संभव नहीं हो सका।
उन्होंने कहा कि डेढ़ घंटे तक लगातार एंबुलेंस के लिए कॉल करते रहे, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। अंत में ई-रिक्शा का सहारा लेना पड़ा। 26 किलोमीटर का यह सफर पहाड़ साबित हो रहा था। उन्होंने कहा कि रास्ते में पत्नी को कुछ हो जाता तो इसका जवाबदेह कौन होता?
सरकार और प्रशासन स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर कई बातें करती हैं, लेकिन सारे दावे खोखले हैं। इधर, महिला का इलाज करने वाली चिकित्सक डॉ कंचन ने कहा कि बीच रास्ते में प्रसव काफी पीड़ादायी है। फिलहाल जच्चा-बच्चा दोनों सुरक्षित हैं। दोनों का बेहतर तरीके से इलाज किया जा रहा है। इस अवस्था में बहुत परेशानी होती है।
गौरतलब है कि जिले में पिछले 20 दिनों से एंबुलेंस कर्मी हड़ताल पर डटे हुए हैं। जिससे गरीब मरीजों की जान पर आफत बन आई है। लोगों को अस्पताल पहुंचने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। सुखी-संपन्न लोग प्राइवेट एंबुलेंस का सहारा ले रहे हैं, लेकिन गरीब मरीजों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।
एंबुलेंस कर्मी लगातार जिला स्वास्थ्य समिति कार्यालय के समक्ष धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं। लेकिन कोई सुध लेने वाला नहीं है। अबतक किसी भी अधिकारी ने उनकी हड़ताल समाप्त कराने की पहल नहीं की जिसका खामियाजा गरीब मरीजों को उठाना पड़ रहा है। एंबुलेंस कर्मी चार महीने से बकाया मानदेय भुगतान और कंपनी के बदले जाने की आशंका पर हड़ताल पर डटे हुए हैं।
इधर, हड़ताल के कारण जिला मुख्यालय से लेकर ग्रामीण क्षेत्र के मरीजों को इलाज में काफी परेशानी हो रही है। गंभीर रुप से बीमार लोग ससमय अस्पताल नहीं पहुंच पा रहे हैं। प्राइवेट एंबुलेंस लेने पर अतिरिक्त राशि खर्च करनी पड़ रही है। लोगों ने जिला प्रशासन से इस समस्या की ओर ध्यान आकृष्ट कराते हुए निदान की मांग की है।
एंबुलेंस संघ के जिला अध्यक्ष रामवृक्ष सिंह ने कहा कि हम लोगों की लड़ाई सरकार से है । सरकार की सिस्टम से ही बकाया राशि नहीं मिला। इसलिए हम लोग हड़ताल पर हैं। जहां जमकर नारेबाजी भी नीतीश सरकार के खिलाफ की जा रही है।

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