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राज्यस्तरीय समारोह के रूप में मनाया जाऐगा 25 अगस्त शहीद दिवस – धमदाहा / पुर्णिया ।

संतोष कुमार ।

25 अगस्त 1942 को धमदाहा थाना गोली काण्ड में 15 वीर सपूतों अपने प्राणों की आहुति दी थी।
राजकीय समारोह में जिला प्रभारी मंत्री विजय चौधरी, खाद्य आपूर्ति संरक्षण विभाग के मंत्री लेसी सिंह शामिल होगें ।

भारत छोड़ो आंदोलन 1942 में धमदाहा थाना में तिरंगा फहराने के दौरान अंग्रेजी हुकूमत के गोली से शहीद हुए वीर सपूतों के मजार पर 25 अगस्त को राज्यस्तरीय समारोह के रूप आयोजित किया जाऐगा।
भारत छोड़ो आंदोलन को अगस्त_क्रांति के नाम से भी जाना जाता है। इस आंदोलन का लक्ष्य भारत से ब्रिटिश साम्राज्‍य को समाप्त करना था। यह आंदोलन भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान काकोरी कांड के ठीक 17 साल बाद 9 अगस्त,1942 को गांधीजी के आह्वान पर पूरे देश में एक साथ आरंभ हुआ था। भारत छोड़ो आंदोलन का प्रस्ताव पारित होने के बाद ग्वालिया टैंक मैदान में गांधीजी जी ने कहा एक छोटा सा मंत्र है जो मैं आपको देता हूँ। इसे आप अपने ह्रदय में अंकित कर लें और अपनी हर सांस में उसे अभिव्यक्त करें। यह मंत्र है-“करो या मरो”। अपने इस प्रयास में हम या तो स्वतंत्रता प्राप्त करेंगे या फिर जान दे देंगे।” भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान ‘अंग्रेज़ों भारत छोड़ो’ एवं ‘करो या मरो’ भारतीयों का नारा बन गया।ब्रिटिश सरकार द्वारा पूरे देश में गोलीबारी, लाठीचार्ज और गिरफ्तारियाँ की गई। ब्रिटिश सरकार की हिंसक कार्रवाई की प्रतिक्रिया में लोगों का गुस्सा भी हिंसक गतिविधियों में बदल गया था। लोगों ने सरकारी संपत्तियों पर हमला किया,रेलवे पटरियों को उखाड़ दिया, डाक व तार व्यवस्था को अस्त-व्यस्त कर दिया और सरकारी इमारतों पर तिरंगा फहराने लगे। अनेक स्थानों पर पुलिस और जनता के बीच हिंसक संघर्ष भी हुए। ब्रिटिश सरकार ने आंदोलन से संबंधित समाचारों को प्रकाशित करने पर रोक लगा दी। अनेक समाचार पत्रों ने इन प्रतिबंधों को मानने की बजाय अख़बार बंद कर दिया। मुंबई के ग्वालिया टैंक मैदान में लिए गए फैसले को
पूर्णिया के धमदाहा जैसे सुदूरवर्ती इलाके में वीर सपूतों ने अपनी जान की कुर्बानी दी राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के नेतृत्व में अंग्रेजों भारत छोड़ो आंदोलन के तहत 25 अगस्त 1942 को धमदाहा थाना पर आजादी के दीवानों ने कब्जा कर तिरंगा फहरा लिया था। प्रतिक्रिया स्वरूप अंग्रेजों ने क्रूरतापूर्वक कार्यवाही करते हुए उन पर गोलियां बरसाई जिसमें 14 वीर सपूतों ने अपनी कुर्बानी दे दी थी। इन शहीदों की याद में धमदाहा में शहीद स्मारक का निर्माण किया गया है। इस शहीद स्मारक पर प्रत्येक वर्ष 25 अगस्त को अनुमंडल स्तर पर शहीद_दिवस मना कर शहीदों को श्रद्धांजलि दिए जाने की परंपरा है। इस प्रकार प्रति वर्ष गणतंत्र दिवस एवम् स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर अनुमंडल स्तरीय राष्ट्रीय समारोह से पूर्व शहीद स्थल पर पुष्पांजलि अर्पित करते हुए राष्ट्रध्वज फहराने की परंपरा है। इसी परंपरा का निर्वहन करते हुए इस वर्ष ध्वजारोहण करके शहीदों के कुर्बानी को याद करते हुए पुष्पांजलि अर्पित की जाऐगी। ऐसे पुनीत अवसर में शामिल होकर लोग काफी गौरवान्वित महसूस करते है। शहीद हुए वीर सपूत में (1) श्रीनिवास पांडे (2) जय मंगल सिंह (3) योगेंद्र नारायण सिंह (4) परमेश्वर दास (5) श्री लकी भगत (6) मोती मंडल (7) बालो मारकंडे (8) रामेश्वर पासवान (9) बाबूलाल मंडल (10) हेम नारायण यादव (11) भागवत महतो (12) बालेश्वर पासवान (13) कुसुम लाल आर्य (14) शेख इसहाक शहीद हुए।

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