रवीन्द्र नाथ भैया ।
राजीव कुमार निदेशक, डीआरडीए द्वारा सभागार में ’’लिंग आधारित हिंसा के विरूद्ध राष्ट्रीय अभियान’’ का शुभारम्भ दीप प्रज्ज्वलित कर किया।
निदेशक डीआरडीए ने ’’नई चेतना पहल बदलाव की ओर’’ के बारे में विस्तृत रूप से जानकारी दिया। उन्होंने महिला के प्रति हो रहे हिंसा, शोषण आदि की समस्याओं के बारे में एवं उसके समाधान के बारे में बताया।
महिला बाल विकास निगम, बिहार, पटना के प्रतिनिधि रूबीणा प्रवीण ने दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 (सीआरपीसी) आईपीसी एवं अन्य कानूनों के तहत महिलाओं के अधिकार के प्रति जागरूक किया। उन्होंने कहा कि यह कानून यह आपकी सुरक्षा और सम्मान के लिए है। महिलाओं की गिरफ्तारी, तलाशी या मेडिकल जाँच सिर्फ सक्षम महिला द्वारा ही की जा सकती है। सूर्यास्त के बाद किसी भी महिला की गिरफ्तारी सिर्फ अतिविशेष परिस्थिति में मजिस्ट्रेट के आदेश से ही हो सकती है।
महिला हिंसा के मामले में अपना बयान सिर्फ महिला पुलिस ऑफिसर को ही देना, हर महिला का अधिकार है।
जिला मिशन समन्वयक, मिशन शक्ति हेना तब्बसुम ने कहा कि उक्त कानून के अन्तर्गत निजता हर संघर्षशील महिला का हक है, एक विशेष मैजिस्ट्रेट इनका बयान निजता में दर्ज कर सकते हैं। संघर्षशील, बयान देते समय, एक दोस्त या परिवार के सदस्य को साथ रख सकती है ताकि वो सहज हो सकें। संघर्षशील अपने लिए सुरक्षा एवं आश्रय की माँग कर सकती है। अगर बच्चे गवाह बनते हैं, तो उनकी सुरक्षा के लिए कोर्ट में पदों और निजता की व्यवस्था होगी। सरकार के तरफ से जरूरतमंद संघर्षशील को वकील की सेवा निःशुल्क मुहैया करवाई जाती है। उन्होंने कहा कि महिला टाॅल फ्री नम्बर-181 पर अपनी बात को रख सकती हैं। उनके आईडी को गौन रखा जाये।महिला हेल्प लाईन-सह-वन स्टाॅप सेंटर के राजकुमारी ने महिलाओं के हो रहे शोषण के बारे में बतायी कि हम औरतों में भी सुधार लाना आवष्यक है। उन्होंने जीविका दीदी, एनजीओ आदि के माध्यम से औरतों में जागरूकता लाने के संबंध में कहीं एवं महिलाओं के अधिकार के बारे में विस्तृत रूप से बतायी।
उन्होंने उक्त कानून के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि बलात्कार की चाहे कितनी भी पुरानी घटना हो, पुलिस के पास शिकायत दर्ज करवाना हर महिला का हक है। बलात्कार हुआ या नहीं वो सिर्फ कानून तय करता है, डॉक्टर नहीं, डॉक्टर सिर्फ यौन सम्बंध की रिपोर्ट दे सकता है।
भारतीय दंड संहिता की धारा 228A के अनुसार बलात्कार के पीड़ित की पहचान को उजागर करना एक दंडनीय अपराध है।
बैठक में श्रीमती कुमारी रीता सिंहा, डीपीएम जीविका, श्रीमती प्रियंका कुमारी जिला कार्यक्रम पदाधिकारी षिक्षा विभाग रूबीना प्रवीण एवं हर्षा महिला एवं बाल विकास निगम बिहार पटना के प्रतिनिधि, मयंक प्रियदर्षी लैंगिक विशेषज्ञ मिशन शक्ति, सभी बाल विकास परियोजना पदाधिकारी, सभी महिला पर्यवेक्षिका, जीविका दीदी आदि उपस्थित थे।