आयुक्त के आदेश की उड़ रही धज्जियां – नवादा |
मामले की पुर्नसुनबाइ के बजाय पीडीएस विक्रेताओं को बचाने का किया जा रहा प्रयास
-मामला आरटीआई से उद्भेदन
रवीन्द्र नाथ भैया |
जिले में भ्रष्टाचार सर चढ़कर बोल रहा है। ऐसे में सूचना के अधिकार और लोक शिकायत निवारण को अधिकारियों द्वारा कुंद करने का प्रयास किया जा रहा है और फर्जीवाड़ा के दोषियों को बचाने का अथक प्रयास किया जा रहा है। बावजूद सूचना मांगकर लोक शिकायत में ले जाने वाले हैं कि मानते नहीं, भले ही गोल मटोल जबाव और फर्जीवाड़ा को संरक्षण देने का ही आदेश क्यों न पारित किया जाय।
ताज़ा मामला रजौली प्रखंड अमांवा पश्चिम जनवितरण से जुड़ा है। योगेन्द्र पासवान द्वारा कोरोना काल वर्ष 2020 में मई और जून दो महीने में प्रवासी मजदूरों के बीच 84 क्विंटल वितरण से जुड़ा है। यानी कि उन्होंने 1680 प्रवासी मजदूरों के बीच वितरित किया।
मांगी सूचना – जिले के बहुचर्चित आरटीआई कार्यकर्ता प्रणव कुमार चर्चिल ने इससे संबंधित सूचना की मांग की थी सूचना छिपाकर गलत सूचना देने के बाद समाहर्ता से इस गंभीर फर्जीवाड़ा और कालाबाजारी की जांच की मांग की थी थी।जिसके बाद कार्रवाई शून्य रहने से परेशान अपर समाहर्ता जिला लोक शिकायत निवारण में ले जाया गया जहां पदाधिकारियों के संगठित साजिश से गलत आदेश पारित कराया गया । चूंकि मामला रजौली अनुमंडल पदाधिकारी से जुड़ा था इसलिए उसे रजौली स्थानांतरित कर दिया।
पहले किया गलत बयानी:- पहले सूचना की मांग करने वाले को ही आपराधिक प्रवृत्ति का बता गोल-मटोल जबाव दे मामले को टाल दिया था।
आयुक्त के पास पहुंचा था मामला:- गोल-मटोल आदेश वो परिवाद के विषयवस्तु से हटकर आदेश पारित होने के विरुद्ध मामला आयुक्त के पास पहुंचा था। मामले की सुनवाई करते हुए आयुक्त ने जिला लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी के आदेश को premature आदेश घोषित कर पुनः मामले की सुनवाई कर जांच का आदेश पारित किया था।
फिर दिया गोल-मटोल जबाव:- आयुक्त के आदेश के बावजूद पुनः जांच कराना तो दूर जिला लोक शिकायत निवारण अधिकारी ने अनाप शनाप तथ्य अंकित कर आदेश पारित कर दिया जिसमें परिवाद का एक भी जबाव नहीं है।
अब सबसे बड़ा सवाल यह कि जब लोक शिकायत निवारण अधिकारी कहते हैं कि आरटीआई मामले की लोक शिकायत कानून में सुनवाई नहीं की जा सकती । तो फिर किस हैसियत से आरटीआई की धारा का इस्तेमाल कर लोक शिकायत निवारण का आदेश अधिकारी लिख रहे हैं और दे रहे हैं?
जब इस बावत श्री चर्चिल द्वारा रजौली एसडीएम से मोबाइल पर बात करने का प्रयास किया गया तब उन्होंने सामने बैठकर बात करने का आमंत्रण दे मोबाइल काट दिया।
अब सबसे बड़ा सवाल पीडीएस विक्रेता को बचाने का प्रयास क्यों? ऐसे में पुनः मामला आयुक्त के पास जाना तय है।