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स्वास्थ्य विभाग की फिर खुली पोल ! -एंबुलेंस में नहीं है एक भी जीवन रक्षक दवा, मरीजों की जान पर आफत – नवादा |

रवीन्द्र नाथ भैया |

जिले में स्वास्थ्य विभाग की एकबार फिर पोल खुली है। जिले के सरकारी अस्पताल में संचालित एंबुलेंस में एक भी जीवन रक्षक दवा नहीं है जिसके कारण मरीजों के जान जाने की नौबत आ रही है। साथ ही मरीजों को कई परेशानियां उठानी पड़ रही है
एंबुलेंस सेवा को जीवन रक्षक कहा जाता है। लेकिन जिले के सरकारी अस्पताल में संचालित एंबुलेंस मरीजों की जान से खिलवाड़ कर रही है। आलम यह कि एक भी एंबुलेंस में दवा तक उपलब्ध नहीं है।
हद तो यह कि आपातकालीन स्थिति में अस्पताल प्रबंधन की बातों को दरकिनार कर दिया जाता है। जिसके कारण हंगामे की स्थिति उत्पन्न हो जाती है।


एंबुलेंस में उपलब्ध नहीं है एक भी दवा :-
गौरतलब है कि जिले के सरकारी अस्पतालों में जेनप्लस नामक एजेंसी के माध्यम से एंबुलेंस 102 का संचालन किया जा रहा है। लेकिन जब से जेन कंपनी ने एंबुलेंस संचालन का जिम्मा संभाला है, तबसे स्थिति और भी खराब हो गई है। पूर्व में मानदेय भुगतान के सवाल पर कर्मियों ने हड़ताल कर दिया था, तब डीएम की पहल पर हड़ताल समाप्त हुई थी।
सिविल सर्जन डॉ. नीता अग्रवाल ने भी स्वीकार किया है कि मानक के अनुरुप एंबुलेंस का संचालन नहीं हो रहा है। अधिकांश एंबुलेंस ऑन रोड लायक भी नहीं है। जेनप्लस एजेंसी की लापरवाही इस कदर है कि एंबुलेंस में दवा तक उपलब्ध नहीं कराई जा रही है, जबकि नियमानुसार 38 प्रकार की दवाईयां होनी चाहिये। ऐसी परिस्थिति में कई बार मरीजों की जान पर आफत तक आ जाती है।
अधिकतर एंबुलेंस में फर्स्ट एड बॉक्स तो है लेकिन बॉक्स खाली पड़ा है। बॉक्स में मरीजों के लिए जीवन रक्षक इंजेक्शन और दवाइयां तक उपलब्ध नहीं हैं। इसके चलते कभी कभी गंभीर मरीजों की जान पर आफत तक आ जाती है।
जिले में सरकारी एंबुलेंस सेवा की बात करें तो 102 सेवा के तहत जिले में 24 एंबुलेंस संचालित हैं। जिम्मेदारों की अनदेखी और लापरवाही के कारण इन एंबुलेंसों में रखे गए फर्स्ट एड बॉक्स में फस्ट एड किट तक उपलब्ध नहीं है।
एंबुलेंस संचालन में एजेंसी बनी है लापरवाह:-
एक तरफ राज्य सरकार बेहतर स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने का दावा कर रही है। दूसरी ओर जिले में स्थितियां ठीक इसके विपरीत है।
बता दें जिले में अधिकांश एंबुलेंस ऑन रोड लायक नहीं है। यहां तक कि पंजीयन तक फेल हो चुका है। लेकिन इन दुश्वारियों को दूर करने के प्रति एजेंसी तनिक भी ध्यान नहीं दे रही है। जिसके कारण मरीजों को परेशानी हो रही है।
कहते हैं उपाधीक्षक:-
पूरे मामले से सिविल सर्जन को अवगत कराया गया है।
आपातकालीन स्थिति में अस्पताल प्रबंधन तक की बात नहीं सुनी जा रही है। इमरजेंसी सेवा में एंबुलेंस नहीं मिलता है तो लोग सदर अस्पताल पर टूट पड़ते हैं।
आलम यही रहा तो आने वाले समय में बड़ी अप्रिय घटना अस्पताल में घट सकती है। इसका जिम्मेदार कंपनी के साथ एम्बुलेंस वाले होंगे।

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