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स्कूल की छुट्टी से पहले बैरियर लगा किया जा रहा सड़क जाम – नवादा |

प्रशासन मौन-यात्री परेशान

रवीन्द्र नाथ भैया |

जिले के उग्रवाद प्रभावित सिरदला बाजार में गया- रजौली एस एच 70 के बीचों बीच दोनों किनारे पर सिरदला बाजार के डैनी झोड़ के पास रोड पर संचालित एस टी टेरेसा नाम की प्राइवेट स्कूल के सामने दोपहर करीब दो बजे से लेकर ढाई बजे तक पूरी सड़क को दोनों तरफ से स्कूल प्रबंधक के द्वारा सड़क के बीचों बीच बैरियर लगा सड़क को पूरी तरह जाम कर दिया जाता है। ऐसा किये जाने से कुछ ही देर में दोनों ओर दो पहिया, चार पहिया वाहनों की लम्बी कतारें लग जाती हैं।
समय स्कूल से बच्चों की छुट्टी की होती और लगभग दो हजार बच्चों को उनके अभिभावक सहित सवारी आटो, मैजिक वाहन बच्चों को लेने आते हैं। यहां सड़क के दोनों तरफ छोटे-बड़े वाहन बेतरतीब तरीके से खड़े हो जाते, फिर लोगों को पैदल निकलना भी मुश्किल होने लगता है।
यह हालात हर दिन हो रही है और व्यवस्था सुधारने की पहल जिम्मेदारों ने नहीं की। हर दिन दोपहर में बच्चों की छुट्टी होने के दौरान एक घंटा खतरों से भरा रहता है। कई बार छोटी बड़ी घटनायें हो चुकी है , और आए दिन बड़ी घटना को चुनौती भी दे रही है । स्कूल प्रबंधक को लाइसेंस भी आंख मूंद कर दे दिया जाता है ।
स्कूल के अंदर नहीं है पार्किगं:-
स्कूल परिसर में पार्किंग की व्यवस्था नहीं होने से वाहन सड़क पर ही खड़े करना चालकों की मजबूरी है। स्कूल प्रबंधक की भी कई गाड़ियां दिन भर स्कूल के बाहर सड़क पर खड़ी रहती है ।स्कूल प्रबंधन मोटी फीस लेने के बाद भी बच्चों और उनके पालकों के वाहनों को खड़ा करने के लिए पार्किंग की व्यवस्था नहीं कर रहा है। मार्ग का चौड़ीकरण नहीं है दोनों तरफ दुकान और मकान है । ऐसे में दोनों ओर वाहन खड़े होने से सड़क से गुजरने वाले वाहनों को जगह नहीं बचती और र्दुघटना होने की संभावना बनी रहती है। बावजूद स्कूल प्रबंधन व्यवस्था में सुधार करना मुनासिब नहीं समझा।
यहीं से निकलते है क्षेत्र के आला अधिकारी:-
इस तरह के हालात हर दिन पुलिस प्रशासन सहित अन्य अफसर भी देखते और वाहन इसी मार्ग से लेकर निकल जाते हैं। लेकिन व्यवस्था में सुधार करने की पहल किसी भी जिम्मेदार अफसर ने नहीं की। पुलिस-प्रशासन के अफसर स्कूल प्रबंधन को पार्किंग की व्यवस्था करवाने के निर्देश देने की हिम्मत भी नहीं जुटा पाते, यह स्थिति सालों से है। लेकिन न तो पालक आवाज उठाते हैं और न ही अधिकारी ध्यान दे रहे हैं। यही हाल रहा तो किसी दिन कोई बड़ा हादसा हो सकता है।
कहते हैं सांच में आंच क्या? सो तस्वीरें झूठ नहीं बोलती। आप खुद निर्णय करें कहां तक न्यायोचित है।

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