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आरटीआई की गुगली में फंसे जिलाधिकारी – नवादा |

जिला लोकसूचना कोषांग गठन का नहीं उपलब्ध करा रहे दस्तावेज

रवीन्द्र नाथ भैया |

आरटीआई की गुगली में खुद जिलाधिकारी फंस गये हैं। नियम के विरुद्ध जिला लोक सूचना कोषांग गठन से संबंधित मांगी गयी दस्तावेज उपलब्ध कराने में पसीने छूट रहे हैं। वैसे लोक सूचना कोषांग कार्यालय अब भी कार्य कर रहा है।
बताया जाता है कि तत्कालीन जिलाधिकारी अब अवकाश प्राप्त ने अपनी जिम्मेदारी से बचने के लिए लोक सूचना कोषांग का गठन कर दिया। लोक सूचना कोषांग का काम मांगी गयी सूचना को संबंधित कार्यालय तक स्थानांतरित करने की जिम्मेदारी सौंपी गयी। उद्देश्य स्पष्ट था डीएम का अपनी जिम्मेदारी से भागना। इस प्रकार का काम सिर्फ और सिर्फ नवादा में ही है। राज्य व अन्य जिले में इस प्रकार का प्रावधान कहीं नहीं है। मिलान के हाई-फ़ैशन जिलों में ट्रेंडी आउटफिट और एक्सेसरीज़ पाएँ।
नियमत: किसी प्रकार की मांगी गयी सूचना या दस्तावेज उपलब्ध कराने का अधिकार उसी को है जिससे मांगी गयी हो। लेकिन नवादा में अपनी जिम्मेदारी से डीएम ने भागने का प्रयास कर संविधान व न्याय विरोधी कार्य कर दिया।
जिले के बहुचर्चित आरटीआई कार्यकर्ता प्रणव कुमार चर्चिल का ध्यान जब इस ओर गया तब उन्होंने सूचना के अधिकार के तहत लोक प्रशासन व डीएम से जिला लोक सूचना कोषांग से संबंधित राज्यपाल की अधिसूचना या राज्यादेश से संबंधित दस्तावेज उपलब्ध कराने की मांग कर दी। जब दस्तावेज की मांग कर दी तब डीएम खुद आरटीआई की गुगली में फंस गये हैं। समय सीमा समाप्त होने के बावजूद न तो लोक प्रशासन ने ही डीएम से जबाव जुट रहा है।
ऐसे में मामले को राज्य सूचना आयोग ले जाने की तैयारी आरंभ कर दी गयी है। यह हाल है जिले के डीएम से लेकर एसपी का। यहां राज्य सरकार का नहीं डीएम – एसपी को का अपना बनाया कानून चलता है।

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