जिले में तेजी से फल-फूल रहा स्वास्थ्य सेवा के नाम का अवैध कारोबार – नवादा ।
जिले में तेजी से फल-फूल रहा स्वास्थ्य सेवा के नाम का अवैध कारोबार -क्लीनिकल एक्ट का नहीं हो रहा पालन नवादा(रवीन्द्र नाथ भैया) इंसानों को जीवन दान देने वाली स्वास्थ्य सुविधाओं पर माफियाओं का कब्जा हो गया है। पैथोलॉजिकल, क्लीनिकल तथा अल्ट्रासाउंड व ब्लड बैंक जैसे महत्वपूर्ण सेवाओं को कालाबारी का जरिया बना दिया गया है। पिछले कुछ दिनों से ऐसे अवैध स्वास्थ्य संस्थानों पर विभाग द्वारा टीम गठित कर कार्रवाई की जा रही है। एक तरफ कार्रवाई तो दूसरी तरफ मैनेज का सिलसिला भी चल रहा है। एफआईआर के बाद भी स्वास्थ्य महकमा कोई ठोस कार्रवाई करने में अक्षम साबित हो रही है। जिला मुख्यालय के अलावा वारिसलीगंज बाजार व शफीगंज, पकरीबरावां, रजौली, कौआकोल, रोह, नारदीगंज तथा हिसुआ सहित कई प्रखंडों में बगैर पैथोलॉजिक, अल्ट्रासाउंड, ब्लड बैंक व क्लीनिक विभागीय मिली भगत से संचालित है, जिसकी जानकारी विभाग को रहते हुए भी कार्रवाई नहीं की जा रही है। स्वास्थ्य सेवा से जुड़े अवैध पैथोलॉजिक व अल्ट्रासाउंड हो रहे संचालित:- जिले भर में सैंकड़ों पैथोलॉजिक, क्लीनिक व अल्ट्रासाउंड संचालित है, लेकिन ऐसे संस्थानों में स्वास्थ्य विभाग कार्रवाई तो कर रही है, लेकिन उनके कारोबार बंद नहीं हो रहा है। हाल के दिनों में पकरीबरावां तथा नवादा के अस्पताल रोड के क्लिनीक पर विभाग द्वारा कार्रवाई करते हुए प्राथमिकी दर्ज करा क्लिनीक को सील किया गया है। स्वास्थ्य विभाग ऐसे मुद्दों पर पिछले दो सालों से कठोर कदम नहीं उठाया है, यही कारण है कि आये दिन स्वास्थ्य सेवा से जुड़ी निजी संस्थानों में तरह-तरह के मामले सामने आ रहे हैं। दिसम्बर 2018 में सरकार ने जारी किया था लाइसेंस लेने का आदेश:- बिहार में नर्सिंग होम के लिए लाइसेंस लेना जरूरी है। आदेश वर्ष 2018 में राज्य सरकार ने लागू किया था। लाइसेंस के बगैर चलने वाले नर्सिग होम अवैध करार दिए जाएंगे। उन दिनों राज्य सरकार ने राज्य में क्लीनिकल इस्टैब्लिशमेंट एक्ट को लागू कर किया था, जिसमें उन दिनों नवादा सहित बारह जिलों में एक्ट के तहत प्राधिकार का गठन गया था। राज्य सरकार के इस कदम से स्वास्थ्य क्षेत्र में लोगों के अधिकारों को मजबूती दिलाने के साथ ही इससे गुणवत्ता वाली स्वास्थ्य सेवाएं देने और चिकित्सा क्षेत्र में व्याप्त अव्यवस्था को रोकने के लिए लागू किया गया था। इस एक्ट के तहत सभी निजी अस्पताल, प्रसुती गृह, परिचर्या गृह, दवाखाना, क्लिनिकल सेनिटोरियम, पैथोलॉजी, अल्ट्रासाउंड तथा ब्लड बैंक जैसे सभी संस्थान, जहां किसी भी तरह की बीमारी, दुर्घटना, विकलांगता और अप्रसामान्यता तथा प्रसव आदि से संबंधित सुविधाएं दी जाती हैं, ऐसे तमाम नर्सिंग होम को इस एक्ट के अधीन जिला रजिस्ट्रीकरण प्राधिकार के तहत पंजीकरण कराना है। इसके बगैर यदि कोई नर्सिंग होम या क्लीनिक चलाते पकड़ा जाता है, तो वह अवैध माना जाएगा। जिला रजिस्ट्रीकरण प्राधिकार में डीएम अध्यक्ष और सिविल सर्जन को संयोजक तथा राज्य सरकार द्वारा तीन सदस्य नामित किए गये हैं। क्या है क्लीनिकल एक्ट के तहत आने वाली बातें :-अस्पताल आने वाले मरीजों का इलेक्ट्रॉनिक हेल्थ रिकॉर्ड व मेडिकल हेल्थ रिकॉर्ड अस्पताल प्रशासन के पास सुरक्षित रहना अनिवार्य है। इस एक्ट में मेटरनिटी होम्स, डिस्पेंसरी डिस्पेंसरी क्लिनिक्स, नर्सिंग होम, एलोपैथी और आयुर्वेदिक से जुड़ी स्वास्थ्य सेवाओं पर समान रूप से लागू होता है। हर अस्पताल और क्लीनिक का अपना रजिस्ट्रेशन अत्यंत जरूरी है, जिससे सुनिश्चित किया जा सके कि वह लोगों को निर्धारित दर पर सुविधाएं उपलब्ध करा रहे हैं। प्रत्येक निजी अस्पतालों में सरकार द्वारा निर्धारित सीमाओं के अंदर ही लोगों से राशि लिये जाने का एक सूचना पट्ट भी लगाने का प्रावधान है और हर तरह के इमरजेंसी को पर्याप्त सुविधाओं के साथ प्राथमिकता के आधार पर इलाज करने का नियम है। वर्ष 2006 में सुप्रीम कोर्ट की ओर से यह फैसला दिया गया था कि डॉक्टर किसी भी अवस्था में इमरजेंसी में आये मरीजों को बगैर इलाज के वापस नहीं लौटाना है। खर्च की समस्या से निपटने के लिये इस निर्णय में दुर्घटना के शिकार या प्रसव पीड़ा से गुजर रही महिलाओं के साथ-साथ उन लोगों को भी आपातकाल मेडिकल सुविधाएं उपलब्ध कराना है। इसमें आने वाले खर्च के लिये मेडिकल सर्विसेज फंड बनाने की बात कही गई थी, परंतु इन सभी नियमों को ताक पर रखकर यहां के निजी क्लीनिक मरीजों को धन कमाने का माध्यम बना लिया है और उनकी जान के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं।
रवीन्द्र नाथ भैया ।
इंसानों को जीवन दान देने वाली स्वास्थ्य सुविधाओं पर माफियाओं का कब्जा हो गया है। पैथोलॉजिकल, क्लीनिकल तथा अल्ट्रासाउंड व ब्लड बैंक जैसे महत्वपूर्ण सेवाओं को कालाबारी का जरिया बना दिया गया है।
पिछले कुछ दिनों से ऐसे अवैध स्वास्थ्य संस्थानों पर विभाग द्वारा टीम गठित कर कार्रवाई की जा रही है। एक तरफ कार्रवाई तो दूसरी तरफ मैनेज का सिलसिला भी चल रहा है। एफआईआर के बाद भी स्वास्थ्य महकमा कोई ठोस कार्रवाई करने में अक्षम साबित हो रही है।
जिला मुख्यालय के अलावा वारिसलीगंज बाजार व शफीगंज, पकरीबरावां, रजौली, कौआकोल, रोह, नारदीगंज तथा हिसुआ सहित कई प्रखंडों में बगैर पैथोलॉजिक, अल्ट्रासाउंड, ब्लड बैंक व क्लीनिक विभागीय मिली भगत से संचालित है, जिसकी जानकारी विभाग को रहते हुए भी कार्रवाई नहीं की जा रही है। स्वास्थ्य सेवा से जुड़े अवैध पैथोलॉजिक व अल्ट्रासाउंड हो रहे संचालित:- जिले भर में सैंकड़ों पैथोलॉजिक, क्लीनिक व अल्ट्रासाउंड संचालित है, लेकिन ऐसे संस्थानों में स्वास्थ्य विभाग कार्रवाई तो कर रही है, लेकिन उनके कारोबार बंद नहीं हो रहा है। हाल के दिनों में पकरीबरावां तथा नवादा के अस्पताल रोड के क्लिनीक पर विभाग द्वारा कार्रवाई करते हुए प्राथमिकी दर्ज करा क्लिनीक को सील किया गया है। स्वास्थ्य विभाग ऐसे मुद्दों पर पिछले दो सालों से कठोर कदम नहीं उठाया है, यही कारण है कि आये दिन स्वास्थ्य सेवा से जुड़ी निजी संस्थानों में तरह-तरह के मामले सामने आ रहे हैं। दिसम्बर 2018 में सरकार ने जारी किया था लाइसेंस लेने का आदेश:- बिहार में नर्सिंग होम के लिए लाइसेंस लेना जरूरी है। आदेश वर्ष 2018 में राज्य सरकार ने लागू किया था। लाइसेंस के बगैर चलने वाले नर्सिग होम अवैध करार दिए जाएंगे। उन दिनों राज्य सरकार ने राज्य में क्लीनिकल इस्टैब्लिशमेंट एक्ट को लागू कर किया था, जिसमें उन दिनों नवादा सहित बारह जिलों में एक्ट के तहत प्राधिकार का गठन गया था।
राज्य सरकार के इस कदम से स्वास्थ्य क्षेत्र में लोगों के अधिकारों को मजबूती दिलाने के साथ ही इससे गुणवत्ता वाली स्वास्थ्य सेवाएं देने और चिकित्सा क्षेत्र में व्याप्त अव्यवस्था को रोकने के लिए लागू किया गया था। इस एक्ट के तहत सभी निजी अस्पताल, प्रसुती गृह, परिचर्या गृह, दवाखाना, क्लिनिकल सेनिटोरियम, पैथोलॉजी, अल्ट्रासाउंड तथा ब्लड बैंक जैसे सभी संस्थान, जहां किसी भी तरह की बीमारी, दुर्घटना, विकलांगता और अप्रसामान्यता तथा प्रसव आदि से संबंधित सुविधाएं दी जाती हैं, ऐसे तमाम नर्सिंग होम को इस एक्ट के अधीन जिला रजिस्ट्रीकरण प्राधिकार के तहत पंजीकरण कराना है। इसके बगैर यदि कोई नर्सिंग होम या क्लीनिक चलाते पकड़ा जाता है, तो वह अवैध माना जाएगा।
जिला रजिस्ट्रीकरण प्राधिकार में डीएम अध्यक्ष और सिविल सर्जन को संयोजक तथा राज्य सरकार द्वारा तीन सदस्य नामित किए गये हैं। क्या है क्लीनिकल एक्ट के तहत आने वाली बातें :-अस्पताल आने वाले मरीजों का इलेक्ट्रॉनिक हेल्थ रिकॉर्ड व मेडिकल हेल्थ रिकॉर्ड अस्पताल प्रशासन के पास सुरक्षित रहना अनिवार्य है। इस एक्ट में मेटरनिटी होम्स, डिस्पेंसरी डिस्पेंसरी क्लिनिक्स, नर्सिंग होम, एलोपैथी और आयुर्वेदिक से जुड़ी स्वास्थ्य सेवाओं पर समान रूप से लागू होता है। हर अस्पताल और क्लीनिक का अपना रजिस्ट्रेशन अत्यंत जरूरी है, जिससे सुनिश्चित किया जा सके कि वह लोगों को निर्धारित दर पर सुविधाएं उपलब्ध करा रहे हैं। प्रत्येक निजी अस्पतालों में सरकार द्वारा निर्धारित सीमाओं के अंदर ही लोगों से राशि लिये जाने का एक सूचना पट्ट भी लगाने का प्रावधान है और हर तरह के इमरजेंसी को पर्याप्त सुविधाओं के साथ प्राथमिकता के आधार पर इलाज करने का नियम है। वर्ष 2006 में सुप्रीम कोर्ट की ओर से यह फैसला दिया गया था कि डॉक्टर किसी भी अवस्था में इमरजेंसी में आये मरीजों को बगैर इलाज के वापस नहीं लौटाना है। खर्च की समस्या से निपटने के लिये इस निर्णय में दुर्घटना के शिकार या प्रसव पीड़ा से गुजर रही महिलाओं के साथ-साथ उन लोगों को भी आपातकाल मेडिकल सुविधाएं उपलब्ध कराना है। इसमें आने वाले खर्च के लिये मेडिकल सर्विसेज फंड बनाने की बात कही गई थी, परंतु इन सभी नियमों को ताक पर रखकर यहां के निजी क्लीनिक मरीजों को धन कमाने का माध्यम बना लिया है और उनकी जान के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं।